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सरस्वती चालीसा हिंदी में PDF महत्व:
सरस्वती चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक पाठ है जो माँ सरस्वती को समर्पित है। इस चालीसा को भगवान सरस्वती की कृपा प्राप्त करने और उनकी कृपा से बुद्धि, विद्या, कला और सरस्वता की देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। यह चालीसा विद्यार्थियों, शिक्षकों, कलाकारों और विद्या से संबंधित लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध है।
Saraswati Chalisa PDF |
सरस्वती चालीसा पढ़ने के फायदे क्या हैं?
सरस्वती चालीसा का पाठ करने से अनगिनत लाभ हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: नियमित तौर पर सरस्वती चालीसा का पाठ करने से भक्तों को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसलिए विद्यार्थियों को सरस्वती चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है।
- सुख और शांति: सरस्वती चालीसा का पाठ करने से माँ अपने भक्तों को किसी भी प्रकार के भौतिक सुखों से वंचित नहीं रखती। यदि भक्त सफ़ेद वस्त्र, मोती और पुष्प अर्पण करके माता सरस्वती की पूजा करता है, तो माँ सरस्वती बहुत प्रसन्न होती हैं और भक्तों का उद्धार करती हैं।
- ज्ञानी बनने का माध्यम: सरस्वती चालीसा का पाठ करने वाला ज्ञानी होता है और विद्वान बनता है। इससे भक्त दूर रहते हैं पाप और नकारात्मक विचारों से और ज्ञान और धन की प्राप्ति भी करते हैं।
सरस्वती माँ की पूजा करने की सही विधि क्या है?
श्रेष्ठ विधि से माँ सरस्वती की पूजा करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- स्नान और शुद्धिकरण: सूर्योदय के समय नित्यक्रिया तथा स्नान आदि से निवृत होकर अपने पूजा घर की साफ सफाई करें। तत्पश्चात सरस्वती माता की तस्वीर के सामने बैठ जाएं। अब इसके बाद पूजा घर में कलश स्थापित करें और गणेश जी की विधिवत पूजा करें।
- पूजा सामग्री: सरस्वती माता की पूजा करने से पहले उन्हें स्नान कराएं। अब आप माता को फूल, सिन्दूर और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। साथ ही देवी सरस्वती को श्वेत वस्त्र पहनाएं।
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता को कैसे प्रसन्न करें?
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें और माँ के चरणों में गुलाल अर्पित करें। इस दिन आप माँ सरस्वती को मालपुए और खीर का भोग अवश्य लगाएं। ऐसा करने से सरस्वती माता बहुत प्रसन्न होती हैं।
सरस्वती चालीसा | Saraswati Chalisa Lyrics In Hindi Pdf
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि। बन्दौं मातु सरस्वती,बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,महिमा अमित अनंतु। रामसागर के पाप को,मातु तुही अब हन्तु॥
॥ चौपाई ॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता। सकल विश्व अन्दर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती। जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा।
पाप हीन करती महि तारा॥
बाल्मीकि जी थे बहम ज्ञानी।
तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई।
आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना।
भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहूता।
तेहि न धरइ चित सुन्दर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी।
विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला।
बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।
छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी।
सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा।
बार बार बिनवउं जगदंब॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा।
छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा।
सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता।
कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित जो मारन चाहै।
कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई।
संशय इसमें करइ न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई।
सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥
धूपादिक नैवेद्य चढावै।
संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा।
निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें शत बारा।
बंदी पाश दूर हो सारा॥
करहु कृपा भवमुक्ति भवानी।
मो कहं दास सदा निज जानी॥
॥ दोहा ॥
माता सूरज कान्ति तव,अंधकार मम रूप। डूबन ते रक्षा करहु,परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि,सुनहु सरस्वति मातु। अधम रामसागरहिं तुम,आश्रय देउ पुनातु॥
Saraswati Chalisa In Hindi Pdf | डाउनलोड करने का तरीका:
आप निम्नलिखित चरणों का पालन करके आसानी से "सरस्वती चालीसा डाउनलोड" कर सकते हैं:
आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके saraswati chalisa in hindi pdf को डाउनलोड कर सकते हैं। लिंक पर क्लिक करने के बाद, पीडीएफ फ़ाइल आपके डिवाइस में डाउनलोड हो जाएगी।
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Saraswati Chalisa PDF (FAQs)
सरस्वती चालीसा क्या है और इसका महत्व क्या है?
सरस्वती चालीसा एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो देवी सरस्वती को समर्पित है। यह 40 श्लोकों का एक लंबा स्तोत्र है, जो देवी सरस्वती की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करता है। सरस्वती चालीसा को हिंदू धर्म में ज्ञान, शिक्षा और संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है।
सरस्वती चालीसा का जप किस तरह और कब किया जाना चाहिए?
सरस्वती चालीसा को कोई भी व्यक्ति जप सकता है, चाहे उसकी कोई भी जाति, धर्म या लिंग हो। यह स्तोत्र सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है। सरस्वती चालीसा को किसी भी दिन और किसी भी समय जप सकते हैं, लेकिन सुबह के समय जपना सबसे अच्छा माना जाता है। इसके लिए एकांत में, शांतिपूर्ण वातावरण में जपना उत्तम होता है। साथ ही, एक साफ और पवित्र स्थान पर बैठकर जप करना भी उचित होता है। आपको नियमित रूप से जप करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि आप इसके लाभों को प्राप्त कर सकें।
सरस्वती चालीसा के क्या लाभ हैं?
सरस्वती चालीसा के जप के कई लाभ हैं। इस स्तोत्र का जप ज्ञान, बुद्धि, स्मरण शक्ति, संगीत और कला के विकास में मदद करता है। इसके अलावा, यह स्तोत्र शांति, समृद्धि और समृद्धि भी प्रदान करता है। इसके जप से विद्यार्थियों को अध्ययन और परीक्षाओं में सफलता मिलती है, और संगीत और कला के क्षेत्र में रुचि रखने वाले व्यक्ति को ताकत मिलती है।
सरस्वती चालीसा कहाँ से उपलब्ध है?
सरस्वती चालीसा को किसी भी धार्मिक पुस्तकालय या ऑनलाइन पाया जा सकता है। आप इसे हिंदू पूजा उपासना से संबंधित किसी भी पुस्तकालय में खरीद सकते हैं या इंटरनेट पर भी उपलब्ध कराया जा सकता है। सरस्वती चालीसा के कई संस्करण हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय संस्करण श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित संस्करण है।
सरस्वती चालीसा को जपने के लिए कुछ टिप्स क्या हैं?
सरस्वती चालीसा जपने के लिए यह कुछ टिप्स हैं
- सरस्वती चालीसा को एकांत में, शांतिपूर्ण वातावरण में जपें।
- सरस्वती चालीसा को एक साफ और पवित्र स्थान पर जपें।
- सरस्वती चालीसा को एक शांत और भक्तिपूर्ण मन से जपें।
- सरस्वती चालीसा को एक ही बैठक में पूरा जपने का प्रयास करें।
- सरस्वती चालीसा को नियमित रूप से जपें, ताकि आप इसके लाभों को प्राप्त कर सकें।
याद रखें, सरस्वती चालीसा एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो सभी के लिए लाभकारी है। इसके जप से आप ज्ञान, बुद्धि, स्मरण शक्ति, संगीत और कला के विकास में समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।